Tue 04 November 2014 | -- (permalink)
मेरी जान मुझको क्या पता
के तेरा मेरा सिलसिला
जो चल पड़ा, (है चल रहा !)
कैसे होगा खतम ?
सोच मेरी जान तू
जो कह रहा वो मान तू
ज़मीं भी अासमां तू
जो तू मेरी सनम
जो सोच मे पङेंगे
यूँही खङे रहेंगे
अा हाथ मेरा थामले
बढेंगे फिर कदम
तू छोङकर क्या भागेगी
न सोच उतनी अागे की
सिर्फ भागने से किस्सा ये
होगा नही खतम